अंगड़ाई
अंगड़ाई
किसी कहानी का नया अवतार लिए,
सुबह होती है एक नई शुरुआत लिए,
कोई लेता है अंगड़ाई चाय पीने के किये,
कोई लेता है दो वक्त की रोटी कमाने के लिए,
बड़ी नायाब चीज है अंगड़ाई,
नए हौसलो में जान भरने के लिए,
नन्ही सी चिड़िया के उड़ान भरने के लिये,
थैले में दफ्तर का सामान भरने के लिए,
बच्चे की किलकारी का गान भरने के लिए,
नई उम्मीदों का सफर फिर शुरू हो जाता है,
अंगड़ाई के साथ ताजा हर जुनून हो जाता है,
उमंगों की जमीन को एक नया आसमान मिलता है,
किसानों को खिला सा खलिहान मिलता है,
खिलाड़ी को अपनी ओर बुलाता मैदान मिलता है,
अंगड़ाई के साथ सिर्फ ऑंखे नहीं खुलती,
खुलता है एक नई दिशा का पिटारा,
सुबह की अंगड़ाई बनती है सुकून का पिटारा,
अंगड़ाई चिकित्सक की नई दवा होती है,
पुजारी की जीती-जागती दुआ होती है,
पिता के कर्मो का बखान करती है,
विद्यार्थियों में नई सी जान भर्ती है,
अंगड़ाई खुद में अद्भुत है,
अंगड़ाई नव जीवन का साक्ष्य है,
यह स्वयं ही सकारात्मक पक्ष है,
इसका निराला अपना नक्स है,
उन्नति ही तो इसका लक्ष्य है,
अंगड़ाई स्वप्नों को सजग बना देती है,
सत्य को यह अमर बना देती है,
जीत में बदलकर कल की हार को,
आज नई प्रहर सजा देती है,
अंगड़ाई जो ले पुष्प कभी,
तो यह पूरे जग को महका देती है,
कोयल की मधुर पुकारो से,
मुर्ग के जागरण मंत्रो से,
आधुनिक कई यंत्रो से,
खिल उठती है अंगड़ाई,
अंगड़ाई यलगार भी है,
समस्त सुखों का दरकार भी है,
डाकिए का इंतजार हुआ करता था,
कबूतर भी पैगाम दिया करता था,
विचित्र विचारक है अंगड़ाई,
वह प्रातः कुछ शीघ्र हुआ करता था,
मातृ शक्ति का श्रृंगार है अंगड़ाई,
पुरुषत्व जा प्रमाण है अंगड़ा !
