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अजय पोद्दार 'अनमोल'

Tragedy

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अजय पोद्दार 'अनमोल'

Tragedy

बस एक याद बन जाऊंगा

बस एक याद बन जाऊंगा

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तमाम कसमे तमाम वादे

एक 5 मीटर के कपड़ो से लिपट मेरे साथ चला जायेगा,

हर शिकवा मेरे साथ कहीं दूर तक निकल जायेगा,

शिकायत का भी मौका नहीं मिलेगा किसी को,

जलते जलते बस कुछ दूर तक धुँआ रह जायेगा,

कुछ लम्हो की खुशियों को याद कर लेना,

कुछ वक्त के दर्द का कोई एहसास करेगा,

वो पल भर की नमी कुछ पल में खो जाएगी,

दिन बीत जाने के बाद कहाँ याद रखा जाएगा,

वो चाय की चुस्की वो पापड़ का स्वाद,

वो कालेज की हँसी और केंटीन का साथ,

वो बारिश में छाते का घर मे रह जाना,

भीगकर किसी दुकान में रुक जाना,

चाहकर भी सुना है लौट नहीं पाऊँगा,

मृत्यु के रूत को मोड़ नहीं पाऊँगा,

चला जाऊँगा फिर चोट नहीं पाऊँगा,

अपनों से दूर होकर कहीं मजबूर,

जीते जी न मिला नाम चाहे,

मरकर शायद ही हो जाऊंगा मशहूर,

सपनों को तिलांजलि देकर,

ईश्वर को शेष अंजली देकर,

न पड़ोसियों के ताने फिर परेशान करेंगे,

न रिश्तेदार बात बिगड़ने पर मेरा नाम करेंगे,

खो जायेगा एक फूल फिर इस धरती का होकर,

न कोई फिर जाने अनजाने बदनाम करेगा।


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