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priyanka gahalaut

Romance Classics

4  

priyanka gahalaut

Romance Classics

मैं तुम्हें लिखूँगी

मैं तुम्हें लिखूँगी

1 min
237


चांदी उग आएगी ज़ब बालों में 

जिंदगी के सबक झुर्रिया बन जायेंगे 


मशरूफ है आज, हम तुम कल के लिए 

मगर कल देखना जरूर तन्हा रह जायेंगे 


कभी सर्दी की धूप खिली होगी 

कभी उमस साँझ में घुली होगी 


बरसते बादल की बूंदे अंजुली में भर के

अतीत के दर्पण में जरा ताक झाँक के


भूली बिसरी यादों में,जोड़ कर एहसास आज के

और कांपते हाथों से कलम उठा के 


फिर से अपनी सोच लिखूँगी 

मैं तुम्हें ही उस दौर में लिखूँगी।


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