मैं थका अब तू चल
मैं थका अब तू चल
ये मेरे साया
तू साथ था हरदम पल पल
मेरी काया अब नहीं सबल
ये मेरे साया
मैं थका अब तू चल
तुझे देख मुझे खलता था
क्यों मेरे साथ साथ चलता था
तुझमे थकान देखा,न गुमान देखा
तेरे वजूद को कर अनुमान देखा
तुझमे हर कठिनाई का देखा हल
ये मेरे साया
मैं थका अब तू चल
मेरे सपने मुझको गये निगल
मैं न सका कभी उनसे निकल
पी कर तृप्त हुआ आंसू गरल
जीवन में तृप्ति का नहीं कोई महल
ये मेरे साया
मैं थका अब तू चल
तुझमें कहीं भार न देखा
तुझे दर्द दे कोई धार न देखा
तेरे गालों में अश्क कतार न देखा
तेरी विफलता का कोई आधार न देखा।
तू व्याप्त है शीतल तरल
मैं थका अब तू चल
मेरे संग संग तू हर मुकाम तक रहा
सुबह आगे तो पीछे शाम तक रहा
तेरे अठखेली कुछ कहि अनकही
छाँव में ही छोड़ तू ,अगर गयी कहीं
तेरा हमदर्दी निःस्वार्थ निर्मल
मैं थका अब तू चल
जा अब मेरा अस्तित्व भी न रहेगा
इन सांसों से बंधा व्यक्तित्व भी न रहेगा
अब मेरे कर्मो को
हाय ! तेरे संग न मैं पाउँगा चल
ये मेरे साया
मैं थका अब तू चल
मैं थका अब तू चल।