मैं साथ हूँ तेरे
मैं साथ हूँ तेरे
सब छोड़ गए इस उम्र में
शायद उन्हें ज़रूरत नहीं
तुम ही बताओ प्रिय मेरे
परवरिश में कहाँ गलती हुई।
मैं भी लड़ती रही, झगड़ती रही
बाबू पर सब कुछ लुटाते रही
जितनी झुर्रियां चेहरे पर हमारे
उतनी यादें अब याद आती है
तुम्हारी मेरी झेली हर व्यथा सुनाती है।
अरे पगली ! अब तक साथ हूँ तेरे
ये क्या कम है तेरे लिए
रोये जा रही है जो छोड़ गए उनके लिए
प्रकृति नियम है हम सर्वस्व दे चुके अब।
मोह बंधन छोड़ देख शांति मिलेगी तब
खोल दे रिश्तों की पोटली
फेंक से गम की खाली झोली
चुन ले खुशियों के मोती
खुश रहना नहीं कोई चुनौती।
इतना वादा करता हूं जैसे हूं साथ तेरे
रहूँगा हमेशा निभाऊंगा वचन साथ तेरे
अब दिखा दो प्यारी वाली हंसी तुम्हारी
जिस पर मर मिटा था मैं पहली बारी।