मैं रेल जैसा
मैं रेल जैसा
थमता कहाँ हूँ रुकता कहाँ हूँ
हूँ पटरियां मैं तो
साथ खुद के चलता हूँ
पर मिलता कहाँ हूँ
ज़िम्मेदारियों की
सवारियाँ लिए चलता हूँ
कभी खुद की
कभी परिवार की
ज़रूरतें पूरी करता हूँ
जैसे रेल पहुँचाती है
मुसाफिरों को
उनकी मंजिल पर
वैसे रिश्तों को खुद पर लाद कर
पार लगाता चलता हूँ
थमता कहाँ हूँ रुकता कहाँ हूँ
मैं दौड़ता भागता
खुद का होता कहाँ हूँ
इंजन सा खींचता रहता हूँ
अपने दिल के कई हिस्सों को
धड़कता हूँ
पर धड़कनों को सुनता कहाँ हूँ
गुजरता जब हूँ मैं
अपनों की कसौटी के पुल से
थरथराता हूँ घबराता हूँ
पर मैं खुद से हारता कहाँ हूँ
देर हो जाती है जैसे रेल को
पहुंचने में एक स्टेशन से
दूसरे स्टेशन पर
कभी मौसम की वजह से
तो कभी समय की बेवफाई की वजह से
वैसे ही मुझे देर हो जाती है
कभी अपनों को मनाने में
तो कभी खुद को समझाने में
पर मैं हौसला खोता कहाँ हूँ
मैं रेल गाड़ी जैसा हूँ "गुमशुदा"
जाता हूँ आता हूँ ख्वाबों में
आँख खुलती है
तो भी मैं जाता कहाँ हूँ।