मैं प्रतीक्षारत..
मैं प्रतीक्षारत..
तुमको अब वक्त मिला
एक उम्र के बाद,
कहां थे अब तक !!
जबकि होने वाली है सांझ
..और फिर गहन अंधेरा,
मैं दे भी क्या सकती हूं तुमको
इन रीते हाथों से
सिर्फ बाकी हैं जिनमें
खोखली लकीरें ही,
ये चिंताओं का रूखापन
कब तक सोख सकेगा प्रेम की स्निग्धता !!
देखो न..
कैसे परीक्षण कर रहीं हैं हमारा
ये संदेह युक्त द्रष्टियां ,
क्या ठीक रहेगा हमारा मिलना यूं !!
हां, आना तुम..
अगली नई सुबह में
सबसे पहले,
मैं मिलूंगी तुमको..यूं ही प्रतीक्षारत !!
पर शायद..
इस सवाल का जवाब
तुम्हारे पास तब भी नहीं होगा
कि "तुम पहले क्यों न मिले !!
जवाब मिले तो बताना जरूर ,
मैं इंतज़ार में हूं !!