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Gautam Sagar

Inspirational

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Gautam Sagar

Inspirational

मैं नतमस्तक हो जाता तो

मैं नतमस्तक हो जाता तो

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काम मेरा बन जाता ना !

लेकिन मैं दर्पण में आँख 

मिला स्वयं से पाता ना !


इसीलिए निर्णय किया कि

होना है शालीन मगर 

यह भी ध्यान रखूँगा 

होऊँ न रीढ़ विहीन मगर 


एक सपना इन आँखों में 

आकर के पछताता है 

आँसू के संग संग वो 

सारी रात बिताता है 


निर्बल मन है जानता तो 

आँख में मैं तो आता ना 

मैं नतमस्तक हो जाता तो 

काम मेरा बन जाता ना !

लेकिन दर्पण में मैं आँख 

मिला खुद से पाता ना !

        



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