bk SHRIVAS

Abstract Inspirational

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bk SHRIVAS

Abstract Inspirational

मैं मजदूर हूँ

मैं मजदूर हूँ

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मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ 

मैं मेहनत से नहीं डरता हूँ ,

सेवा का सपना देखता हूँ ।

गगनचुंबी महल बनाकर ,

मिट्टी के घरौंदे पर सोता हूँ ।।1।।

फिर भी मैं मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ।।


ऊँची जागीरों का हूँ मैं पहरेदार ,

मेरा घर ईश्वर पर छोड़ आता हूँ ।

अनजान हूँ मैं ए सी के ठंडक से ,

भीग पसीने से शीतल हो जाता हूँ ।।2।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ।।


बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर ,

सम ऋतुओं का फसल उगाता हूँ ।

द्वार -द्वार तक फसल पहुँचाकर ,

स्वयं हाट से खरीदकर खाता हूँ ।।3।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ ।।


पर्वत काट मैं राह बनाता हूँ ,

बांध सरिता धार गिराता हूँ ।

जल विद्युत से जग रोशन कर ,

अंधेरे में सपरिवार सो जाता हूँ।।4।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ ।।


पत्थर का भी सीना तोड़ ,

गैरों का हीरा तराशता हूँ ।

स्वप्न- सागर में गोता लगा ,

ऊँची सपनों में खो जाता हूँ ।।5।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ ।।


देश की उन्नति, राज्य की प्रगति में ,

श्रम शक्ति से नव निर्माण करता हूँ ।

दो वक्त खुद्दारी की रोटी के लिए ,

देश विदेश तक पहचाना जाता हूं ।।6।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ ।।


देश का कर्मवीर प्रधान हूँ ,

देश का विकास मेरे हाथों में।

स्व विकास न मैं कर सका ,

क्योंकि मैं भाग्य से मजदूर हूँ ।।7।।

फिर भी मैं खुश हूँ, इसलिए कि मैं मजदूर हूँ।।



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