गौ माता रक्षा प्रण
गौ माता रक्षा प्रण
इस धरती में गाय भी हमारी माता है।
और जनम-जनम से माँ बेटे नाता है।।
ये धरा में अमृत दायिनी जगकी माता है।
ब्रजकन्हैया से भी माँ बेटे का ही नाता है।।
कलयुग तारणी है, माँ गौ गंगा और गीता ।
गौ सेवा से चार धाम की पुण्य मिल जाता।।
पर गौ माँ के जीवन में गहरा संकट आया ।
त्राहि त्राहि हो माँ पुकारे कैसा पल आया ।।
गौ माता आज दर-दर क्यो आज भटकती है।
हुए पुत्र जल्लाद आज माँ पुत्र को तरसती है।।
गौ माता की रक्षा का प्रण हमको करना होगा।
जगत की मां खातिर हम सबको लड़ना होगा।।
गौ पालन-गौसेवा से होगी माँ की सेवा।
निर्धनता भी होती दूर, बने पयस से मेवा।।