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bk SHRIVAS

Abstract Inspirational

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bk SHRIVAS

Abstract Inspirational

नशा-नाश का आधार

नशा-नाश का आधार

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करते जो हैं जन मधुपान उन्हें ।

समझाने का असर नहीं होता।।


गिरते मरते भी है वे खाके ठोकर।

पर सामने उनके पत्थर नहीं होता।।


हैं जानते, मदिरा हैं घातक इस तन का।

पर पीना हो तो बोलते जहर नहीं होता ।।


शौक न पालिये मदपान का कोई।

स्वास्थ्य इससे बेहतर नहीं होता ।।


होते मदहोश जो भी है इसे पीकर।

उनके परिवार का गुजारा नहीं होता ।।


मिले न पिता का प्यार न मां की लोरी।

परिवार की ख्वाहिश भी पूरा न होता।।


धन रहते, शराबी को सखा है मिलते।

पर निज संकट में सगा भी नहीं होता ।।


कर्क निमंत्रण, बली किडनी का जाता।

हालात ये जिंदगी का कभी न बदलता ।।


होश में आ जाओ मयसार के साथियों।

सम्हलने का फिर कभी समय नहीं होता ।।



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