STORYMIRROR

Sudha Singh 'vyaghr'

Romance

3  

Sudha Singh 'vyaghr'

Romance

मैं लिखता रहा और मिटाता रहा

मैं लिखता रहा और मिटाता रहा

1 min
226

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।

जीवन के हर गीत, गाता रहा।


यादें तुम्हारी, जब जब भी आई

तुम्हारा ही अक्स, मुझ को देता दिखाई

सनम क्यों मुझे, छोड़ तुम चल दिये

लौट आओ सदायें, मैं देता रहा।


मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।

जीवन के हर गीत गाता रहा।


फिजाएं लिपट, मुझसे रोती रही

बहारों से अब, बात होती नहीं

मिलेगा सजन, फिर किसी मोड़ पर

ख़्वाब जीवन मुझे, ये दिखाता रहा।


मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।

जीवन के हर गीत गाता रहा।


नाज़ुक सी तुम, एक कली थी प्रिये

हम जिये थे सनम, बस तुम्हारे लिए

तुम्हारे बिना, वक्त कट जाएगा।

खुद को झूठा, दिलासा, दिलाता रहा।


मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।

जीवन के हर गीत गाता रहा।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance