मैं हार गया
मैं हार गया
तेरा पहला पग स्कूल का
आसान ना था
तू रोता था
बसता थामे तू
सुबक़ सुबक़ मुझको
निहारा करता था।
ज़िंदगी की शुरुआत
का पहला तेरा वो क़दम
आसान ना था।
उस वक़्त ना
मैं रोया था
ना पुचकारा था
तेरे भविष्य के लिए
तेरी बाहें थाम
तुझे आगे बढ़ाया था।
आज रास्ते अलग हुए
मंज़िल भी अलग
रिश्ते वो ही
जज़्बात वो ही
सब वो ही
मगर.....
बेटा
आज फिर बाँहें थामें हूँ
बसता भी फिर से तैयार किया
आज चल नहीं सकता
बेटा घुमक्कड़ में ही ले चला।
आज मैं तड़प रहा,
परिवार से जुदा
ना होना चाहता मैं
वृद्धाश्रम का वो क़दम
मेरे लिए आसान ना था।
मैं ना गिड़गिड़ाया
मैं आज फिर से ना रोया
मगर मैं सहमा सा
ज़िंदगी सोनिया हार गया।
मैंने निहारा
अपने जिगर के टुकड़े को
उसका हाथ थाम
मैं चला गया
परिवार के बिन
रहना अकेले मंज़ूर ना था।
देह बिन साँसे लेना
मंज़ूर ना था
आज भी उसके
भविष्य के लिए
मैं, मौत की गोद में
सिमट गया।
मैं सब भूल गया ...
मैं.....।