Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vinay Singh

Abstract Others

4  

Vinay Singh

Abstract Others

मैं गंगाजल हूँ

मैं गंगाजल हूँ

1 min
99


हां मैं, गंगाजल हूं,

स्वर्ग प्रस्फुटित, करता जिसको,

क्षितिज ग्रहण करती, प्रतिपल,

हर घर के कोने-कोने को,

करती मैं सात्विक, निर्मल,

पृथ्वी के हर, तरल खंड की,

मैं सबसे, निर्मल बल हूं,

हां मैं, गंगाजल हूं।।


मैं, गंगाजल हूं,

जिसकी स्तुति, करें विधाता,

देवों की मैं, हृदयस्थली हूं,

जीवन के हर, शुभ प्रश्नों की,

सात्विक व, समरस हल हूं,

सघन तिमीर का, भेदन करती,

पावन व अविरल, कल-कल हूं,

हां, मैं गंगाजल हूं।।


मैं, गंगाजल हूं,

शिव ललाट की, उज्जवल रेखा,

तांडव सी मैं, अटल अचल हूं,

कामदेव के, भस्म क्षणों की,

द्रष्टा व सार्थक पल हूं,

मैं आशुतोष की, डम-डम डमरू,

और जटाजूट का फल हूं,

हां मैं, गंगाजल हूं।।


हां मैं, गंगाजल हूं,

मर्यादा की, रामराज्य मैं,

त्याग में सीता सी, अविचल हूं,

केशव की मैं, चक्र सुदर्शन,

गीता की, शुभ हल हूं,

पुत्र भीष्म की, प्रबल प्रतिज्ञा ,

और पांडव सी, निश्छल हूं,

हां मैं, गंगाजल हूं।।


मैं गंगाजल हूं,

हर हिंदू की, शिखर ध्वनि मैं,

स्वांसों की करतल हूं,

पापों की, प्रायश्चित सबके,

पूण्य परोसती, हर पल हूं,

मृत्यु काल के, शास्वत क्षण की,

अमृतमय गंगा-दल हूं,

हां मैं, गंगाजल हूं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract