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Vinay Singh

Comedy Tragedy Classics

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Vinay Singh

Comedy Tragedy Classics

सेकुलरिज्म का पाठ

सेकुलरिज्म का पाठ

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आओ सोनिया,इसे सिखायें,

सेकुलरिज्म का पाठ,

इनके पिता हुआ करते थे,

हिन्दू हृदय सम्राट।


हम सब देशद्रोहियों को,

बालाजी डांट पिलाते थे,

शेर की तरह,व्यक्तित्व देख,

सब कांग्रेसी डर जाते थे,


अब आया उंट पहाड के नीचे,

जमकर खेलेंगे हम घात,

आओ शरद इसे दिखायें,

क्या है हम सबकी जात,


आओ मिलकर इसे सिखायें,

सेकुलरिज्म का पाठ,

ये सत्तालोभी,राउत जैसे,

शातिर,शकुनि का है चेला,


पुत्रलोभ में आज फंसा,

बिल्कुल यहाँ, अकेला है,

रुतबे का आलम निकृष्ट है,

है,चमचों का सम्राट,


आओ राहुल, इसे सिखायें,

सेकुलरिज्म का पाठ,

राहुल अबोध बच्चा मेरा,

बचपन अपना था, झेल रहा,


जब भी मैं देखा करती,

ओगी और कंचे था खेल रहा,

अब आदित्य को,इस बच्चे को,

बहलाने में लगवायेगे,


महाराष्ट्र मिलकर लूटेंगे,

दोष उद्धव के,सिर आयेंगे,

मैं इसका नाखून,नोचती,

तुम नोचो इसके दांत,

आज शेर में पैदा कर दें,


बकरी जैसी बात,

बाल नोंच लो इस लोभी का,

ढीली कर दो चाल,

सोनिया तुम चाबुक उठा,

>मैं लगा डांट, कर दूँ बेहाल,


आओ बाड्रा और प्रियंका,

खेलो,बाघ को लेकर हाथ,

आओ सुप्रिया,इसे सिखायें,

सेकुलरिज्म का पाठ,


हम सब कितना इससे डरते,

ये तो रंगुआ, शेर खडा था,

अकेले कहाँ ये लड पाता,

छतनार भाजपा,पेड़ खडा था,


हम सब लुच्चों की टोली में,

राउत लुच्चा आया है,

डर तो मुझको बहुत लगा,

पर चाल शरद का भाया है,

आओ महाराष्ट्र को लूटें,


खेलें दुखियों के जज्बात,

आओ सिब्बल इसे सिखाये,

सेकुलरिज्म का पाठ,

उद्धव सिंहासन आज चढा,

जैसे तन, भींगा शेर खडा,


जनता को नतमस्तक होके,

धूलों को,आंखो में झोके,

जब तीन लुटेरे,मिल बैठे,

सच में,जनता की कौन सुने,

अभी चन्द दिनों पहले इनमें,


थे युद्ध जैसे, हालात बडे,

आओ सुरजेवाला,इसको दिखालाओ,

होती क्या,भींगे चमचों की हालात,

बात बात में मिलती झीडकी,

बात बात में जूता, लात,


आओ सब कांग्रेसी,

अजीत, शरद, सोनिया,

राहुल, प्रिया, बाड्रा, सुप्रिया, मोनिया,

बडी मुश्किल से, हाथ में आया हाथ,

आओ सबको, मिलकर सिखालायें,

सेकुलरिज्म का पाठ।


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