मेरे नौसैनिक
मेरे नौसैनिक
सागर के अविरल जल पर
विस्तृत अपार जल-मय
भूतल पर!
पंख लगाये उड़ते मेरे
शौर्य पताका लिये हाथ में
भारत माता के राजपुत्र
जिनसे टकराकर
लहर बोलती
हर हर हर।
सहम रहीं दुश्मन की सीमा
हर क्षण को निर्भय थामें
जीवन की स्वासों को मुट्ठी में बांधे
चोट प्रबल करने को तत्पर
अगर कुदृष्टि आ जाये इधर
मेरे नौसैनिक वीर प्रखर।।
