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Vinay Singh

Abstract Classics Inspirational

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Vinay Singh

Abstract Classics Inspirational

माँ

माँ

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मां ! तुम हो तो,

मैं हूं,

तुम सदा अभय,

मैं भय हूँ,

मां!तुम हो तो,

मैं हूं।


तुम नीर,क्षीर,

अमृत की सागर,

मैं अहं भरा,

विष पय हूँ,

मां!तुम हो तो,

मैं हूं।


तुम उन्नत, हिम शिखर,

स्वर्ग मय,

मैं वृहद घाटी का,

क्षय हूं,

मां!तुम हो तो,

मैं हूं।


तुम निर्लेप सदा,

अंबर सी,

मैं अंधकार का,

आश्रय हूं,

मां!तुम हो तो,

मैं हूं।


तुम प्रथम रुदन,

तुम प्रथम स्वांस,

मैं जीवन का,

परलय हूं,

मां ! तुम हो तो,

मैं हूं।


तुम प्रथम बूंद हो,

अमृतमय,

मैं तो,केवल,

निर्दय हूँ,

मां!तुम हो तो,

मैं हूँ।


तुम जीवन संगीत,

सरल हो,

मैं तो,केवल,

लय हूं,

मां!तुम हो तो,

मैं हूँ।


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