मैं एक भूल करता हूं
मैं एक भूल करता हूं
तेरे दिल की कुंडी
मैं रोज़ बजाता हूं
मुझे नहीं मालुम
मैं तेरे सपने में आता हूं !
तेरे दिल के आईने में
मैं ख़ुद झांक लेता हूं
तू हां कर या ना कर
तेरे सपने मैं सजाता हूं !
झूठ की बत्ती गुल करता हूं,
और मैं एक भूल करता हूं,
तुझे भलीभांति मैं जानता हूं,
ख़ुद को कहां तन्हा मानता हूं !
तेरे दिल की कुंडी
मैं रोज़ बजाता हूं,
मुझे नहीं मालुम
मैं तुमसे प्यार करता हूं !

