मैं बह निकली
मैं बह निकली
एक ऐसी ख्वाहिश
मेरे आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली
अविरल नदी का किनारा बन मैं बह निकली,
दुर्गम राहों से गिरते संभलते मैं बह निकली
सारी ख्वाहिश को पूरी कर मैं बह निकली!
वापसी कि गुंजाइश ना छोड़ मैं बह निकली
आगे जीवन के नए रास्ते तलाशने मैं बह निकली!
