मैं और चाय
मैं और चाय
मेरे लिए थका हुआ दिन
एक यात्रा
और थकी हुई रात
विराम है।
मैं ठहरती हूं अकेले
सराय में
चढ़ाती हूं मद्धिम सोच की आंच पर
द्वंद की चाय
उबालती हूं कड़वे अहसास की
पत्तियां!
फिर घूंट घूंट उतार लेती हूं
हलक में
सारी चाय
सुबह की नयी
यात्रा से पूर्व।