Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Preeti Karn

Others

2  

Preeti Karn

Others

नील मेघ

नील मेघ

1 min
171


समवेत स्वर का रुदन

और समेकित प्रार्थनाएं 

सुन रहे हो नील मेघ! 

द्रवित होगा मन

कभी! 

पसीजेगी अंतरात्मा.

तुम्हारी।


जीव जलचर तरु व्यथित 

पीत ज्वर की 

वेदना से

ओढ़ लो अब 

श्यामवर्णी बादलों के

खोलकर पट

बूंदें झिलमिल 

तिलमिलाई पीठ पर

संगीत लिख दें

सहजता से धरा के 

नाम बस प्रीत लिख दें। 


               


   


Rate this content
Log in