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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics Inspirational

"मायूस न कर"

"मायूस न कर"

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अपने आपको तू मायूस न कर

अपनी जिंदगी को सुस्त न कर

तेरी बहारे फिर से लौट आयेगी,

अपनी बंदूक में तू बारूद तो भर

तेरा तीर अवश्य लक्ष्य पे लगेगा,


पहले अपना निशाना अचूक कर

भीतर दीप प्रज्वलित कर तू ऐसा,

भीतर की गईनिराशा हो जाये, बेघर

अपने आपको तू मायूस न कर

तू कर्मवीर है, आलस्य बंद कर

खुद को इतना मनहूस न समझ,


बुरा तू नहीं है, तेरा यह वक्त है

भीतर की तू लड़ाई खत्म कर

विजय अवश्य ही तेरी होगी,

भीतर आत्मविश्वास पैदा कर


अपने आप को तू मायूस न कर

अपने हौंसले को तू अंबर कर

तू जरूर एवरेस्ट तक पहुंचेगा

खुद को भीतर इतना बुलंद कर


हर प्रकार की समस्याओं से लड़े,

अपने आप को तू जिंदादिल कर

अपने आप को तू मायूस न कर

युद्ध मे खुद को बुजदिल न कर


अपने आप को तू रणवीर कर

युद्ध मे साखी तू जीते या हारे

पर वीरगति से तू अवश्य मर

अपने आप को तू मायूस न कर

अपने आप को तू बहादुर कर।


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