मायके की गलियां।
मायके की गलियां।
कोई कमी नहीं है तुम्हारे प्यार में भाभी और भैया।
तुमसे ही तो रोशन है मेरे मायके की गलियां।
पर अभी नहीं आऊंगी मैं
भूल नहीं पाऊंगी मैं।
मां और बापू के प्यार से सनी हुई वो बोलियां।
सूने कोने रुलाएंगे मुझे।
मां बापू की यादें दिलाएंगे मुझे ।
कैसे भूल जाऊंगी कि रात भर करती रहती थी मैं उनसे बतिया।
वह कमरा बदल चुका होगा।
वहां मां और बापू का ना निशां होगा।
वहां बैठ मैं खुद भी रोऊंगी और तुमको भी रुलाऊंगी मैं।
नहीं भाई अभी मायके नहीं आऊंगी मैं।
(भाई का जवाब)
नहीं बहन, ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
तू घर तो आ, उस घर में सब कुछ पहले के जैसा ही होगा।
हर कमरे में उनके पहले के जैसे ही निशां होंगे।
बस मां की जगह तू और बाबू की जगह में बैठा होऊंगा।
भाई बहन तो हमारे बच्चे बने हुए होंगे।
ना हम उन्हें रुलाएंगे और ना ही हम दोनों खुद रो रहे होंगे।
मां बापू का आशीर्वाद हर कमरे में बह रहा होगा।
उनकी खुशबू का अहसास तुझे हर जगह होगा।
तेरी भाभी जानती है हर पसंद तेरी।
तू घर आकर तो देख, पहले के जैसे ही तेरे लिए हलवा बना होगा।
मुस्कुराहटें बिखेरेंगे हम पहले के जैसे ही मिलजुल कर।
तू पाएगी उनकी छत्रछाया में ही कर पहले के जैसे ही सब कुछ चल रहा होगा।
( बहन का ख्याल)
शायद तू बिल्कुल सही है।
जिंदगी का फलसफा यही है।
जीवन तो चलता ही रहता है।
जब तक है जीवन हम यूं ही चलाते जाएंगे।
इंतजार करना भाई पहली ही छुट्टी में हम सब घर पर आएंगे।