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भावना भट्ट

Abstract

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भावना भट्ट

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मातृत्व

मातृत्व

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तुम अपने संग लेकर आई खुशियों के रंग

और छा गई हमारे जीवन में बनकर उमंग

तुम्हारे आगमन से नाच उठा मेरा मन

किलकारियों से तुम्हारी गूंज उठा घर का आंगन


औरत थी मैं, माँ बनने का सौभाग्य तुमने दिया

अधूरी थी तुम्हारे बिन, तुमने मुझे पूरा किया

मातृत्व का एहसास तुमने ही कराया

मेरे मन में ममता को भी तुमने ही जगाया


अपने प्रतिरूप को देखकर मुझे बेहद खुशी होती है

मेरी आत्मा तुझ में ही तो बसती है

तेरी मुस्कान से ज़िन्दगी पल-पल संवरती है

तेरे कदमों की आहट से मेरे लबों पर हंसी खिलती है


नन्ही हथेली पकड़कर मैं तुम्हें अब चलना सिखा रही हूँ

गिरकर संभलना और फिर उठना बता रही हूँ

तुम्हारे आँसुओं से मैं भी मुरझा रही हूँ

तुम्हारी हंसी के साथ मैं भी खिलखिला रही हूँ

तुम्हें देख अब मैं अपने बचपने में वापस जा रही हूँ।


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