मातृत्व के नये आयाम गढ़ती(सुधा मूर्ति )
मातृत्व के नये आयाम गढ़ती(सुधा मूर्ति )
चाहे माँ अपनी सभी भूमिकाओं को संभालने के लिए कितनी भी मेहनत क्यों न करे, समाज बस यह कहेगा कि, "स्वार्थी मत बनो, अपने बच्चों को प्राथमिकता दो। चाहे कोई भी देश या राज्य हो, माँओं का सहयोग करना दूर हमेशा निशाने पर रहती हैं यह एक कटु सच्चाई है ।
मातृत्व को अपने तरीके से परिभाषित करती एक माँ सुधा मूर्ति ,जिसने कभी अपने सपनों की उड़ान को रोका नहीं ।
सुधा मूर्ति का पालन-पोषण का तरीका और बच्चों को दी गयी सीख हर एक के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके द्वारा बनाये गए सिद्धांत और मूल्य बच्चों को पैसे की सही कीमत सिखाते हैं और साथ ही उन्हें संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
उनके मातृत्व को सहेजती एक कविता*****
साधारण जीवन यापन का पाठ पढ़ाया
सुधा जी ने बच्चों को सही राह दिखाया
न था आलीशान जिंदगी पाने का सपना
सादगी और सच्चाई का घर हो ये अपना
ऑटो-रिक्शे में स्कूल जाना था सिखाया
पैसे की कीमत हर रोज़ उन्हें समझाया
बड़ी पार्टी नहीं, शिक्षा का तुम करो दान
सिखाया हर मौके पर देना होता महान
बेटे ने चाहा ,जन्मदिन का जश्न मस्त
मां ने बताया सोचने का ये सही वक्त
पार्टी के पैसे का शिक्षा में करो निवेश
सच्चे सुख का यही होता जीवन संदेश
छात्रवृत्ति के पैसे सेना को करके दान
देशप्रेम की भावना से भरे उनके काम
मूर्ति के सिद्धांत, जीवन का सार बताते
संवेदना व जिम्मेदारी की नींव हो जाते
सुधा जी की शिक्षा, है प्रेरणा का स्रोत
हर मां-बाप को करे सुख से ओत-प्रोत
सादगी में ही छिपा यथार्थ असली सुख
किसी बच्चे को मिलेगा नहीं कभी दुख
सुधा मूर्ति का यह तरीका हमें है बताता
सुसंस्कारित ,विनम्र जीवन राह दिखाता
उनकी कहानियाँ हमें ये याद हैं दिलाती
कैसे मार्गदर्शन की सीख दी जा सकती
महत्वपूर्ण चीजें सदैव भौतिक नहीं होतीं
बल्कि वे मूल्य व सिद्धांत निधि हो जातीं
