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LALIT MOHAN DASH

Abstract Classics Inspirational

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LALIT MOHAN DASH

Abstract Classics Inspirational

माता का महत्व

माता का महत्व

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माता के गर्भ में अस्तित्व बना तेरा

माताकी गोद तेरा प्रथम आश्रय स्थल।।1


माता दुग्ध तेरा सर्वप्रथम आहार है

माँ वह शब्द है जो कहा पहले पहल।।2


तेरी हँसी और तेरा क्रन्दन भी खींचे

हर घड़ी हर पल माता का ही ध्यान ।।3


माता की तुलना किसीसे करना मत

हो ही न सकता कोई माता के समान।।4


माता ने तुझे सिखलाया बातें करना

माताने पग पग सहारा दिया रे तुझे ।।5


माता की उपेक्षा कर ले कैसे कोई

माता की भूमिका याद न कैसे तुझे ।।6


जो भाषा तू बोलता वह मातृभाषा

जिस भूमि में रहे वह है मातृभूमि ।।7


माता को जिसने बिसरा दिया हो

उसके जीवन में है कमी ही कमी ।।8


कैसी विडम्बना है सोच ले जरा तू

मातृ जाति की करे अब तिरस्कार ।।9


नारी का परिचय तो माता ही तो है

हर गली नुक्कड पे क्यों बलात्कार ।।10


कभी किसी बहशी दरिंदे के हवस की

मातृजाति में से कोई होती है शिकार ।।11


विकृत मानसिकता वाला कोई कभी

उन पर कर देता है तेजाब का प्रहार ।।12


हाड़ मांस के नारी शरीर पर जुल्मकी

दास्तान यहीं पर तो होती नही समाप्त ।।13


जिस जगह पले बढ़े और पनपे हैं हम

उस मातृभूमि से भी लोग करते घात ।।14


किस दिशा में जा रहा देश सोचो तो 

क्या हम मानव कहलाने के हैं योग्य ।।15


माता का अपमान निरादर करना तो

अपने आप में है एक भयंकर ही रोग ।।16


मातृवत परदारेषु शास्त्र की ही शिक्षा

सिखलाते रहे सदा परंपरा ही तो हमे।।17


माता की आदर जो नहीं कर पाते हैं

धरती की गोद में कहो क्यों हैं जनमे।।18


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