*मानवता*
*मानवता*
हम मानव हैं हम,
मानवता की बात करते हैं।
द्वेष भाव को त्याग कर,
सौहार्द की बात करते हैं।
हम,,,,
विद्धान रावण देखो,
कैसे दानव बन गया था।
घमंड भाव में आकर ही,
अपना सारा विनाश किया था
हम तो सिर्फ नम्रता ,
की ही बात करते हैं।
हम ...
गंगा, यमुना, सरस्वती का,
संगम जब हो जाता है।
पूरी दुनिया के लिए,
तीर्थ वह बन जाता है,
आओ हम भी एकता,
की बात करते हैं।।
हम....
प्रकृति के सारे घटक,
सबको सबकुछ दे रहे।
इसके बदले में ना तो,
किसी से कुछ वे ले रहे।।
आओ हम भी परोपकार,
की बात करते हैं।
हम मानव हैं हम,
मानवता की बात करते हैं।
द्वेष भाव को त्याग कर,
सौहार्द की बात करते हैं।