मानवता के अवतारी
मानवता के अवतारी
माँ पार्वती, पिता हरख की
जोड़ी ये साधारण मनुज नहीं !
मानवता के अवतारी हैं।
मनुज रूप में ये परोपकारी अवतारी है।
दयालुता की सवारी है।
निज हित से ऊपर उठकर परहित हेतु
अपना जीवन समर्पित किया।
ऊँच-नीच का भेद मिटाकर
सबको साथ लेकर जीना सिखाया।
भेद न कभी जाति-पाति का किया,
न ही धर्म की राजनीतिक प्रपंच रची !
चाहे वो अपनी जाति का हो या हो पराया !
उन्होंने समझा सदा सबको अपना।
आलोचक जरा ये बताएँ,
क्या चाँद में कलुषित कलाएँ नहीं होती !
फिर भी ये तो मनुज अवतारी हैं।
विकास की लिखेंगे फिर से इबादत !
सदा कुछ अच्छा करना
बन गई है हमारी आदता।
ये बस समय की बलिहारी है।
देखते जाओ तुम आगे अपनी बारी है।
भलाई की ही सवारी है।