माँ
माँ
माँ होती ममता की मूरत,
माँ सी ना कोई दूजी सूरत।
माँ होती है प्रथम गुरू,
उसी से करूँ दिन शुरू।
माँ चंदा- सी शीतल छाया,
माँ होती सबका हमसाया।
माँ देती ऐसे संस्कार,
जिनका ना होता कोई पार।
माँ करती सूरज- सा रोशन,
पास रहती है वो हर क्षण।
माँ सा ना कोई दूजा मित्र,
माँ सिखाए दुनिया की रीत।
माँ की निराली हर कहानी,
माँ देती अनमोल निशानी।
माँ में बसा सारा संसार,
माँ के चरणों में ईश्वर का द्वार।