माँ
माँ
हम कहते थे मंदिरों में शोर है
माँ ने वैष्णो देवी बुला लिया
मन में पहले ही परम-पिता थे
अब माँ ने भी गले लगा लिया
पत्थरों में भगवान देखा है
पर्वतों पर माँ का दरबार देखा है
जो खाली झोली लेकर आते है
उन भक्तों को निहाल देखा है
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा,
कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी,
कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
दुर्गा माता के नौ रूपों से सज़ा
नवरात्रों का त्योहार देखा है
'जय माता की' का जयकारा लगाते जाओ
प्रेम की जोत मन में जलाते जाओ
थके कदमों को ऐसे सहलाती है
ऊँचे भवनों से आवाज़ लगाती है
तुम्हारी तपस्या का ऐसा प्रताप देखा है
कंजकों में माँ का प्रसाद देखा है
लाल चुनरी से बँधा शीश
तेरे चरण कमलों में झुका लिया
माँ ने गले लगा लिया
माँ ने गले लगा लिया।।
