माँ
माँ
आज
एक भी रोटी फूली नहीं थी
दाल कच्ची और नमक कम था
बात यह बड़ी थी
माँ फिर भी चुपचाप खड़ी थी
किसी ने नहीं देखा
उनकी आँख का मौसम नम था
मां को शायद कोई गम था.
गम और मां का नाता पुराना है.
रोटी न फूले तो गम,
कोई गम हो तो नमक कम.
रेल बन दिनभर दौड़ती माँ
पौ फटने से पहले उठ जाती है
छिपकर आँख से नमक बहा
गृहस्थी के चूल्हे में
नित नए गम जलाती हैं.