स्त्री जीवन
स्त्री जीवन
कुछ लड़कियों के जीवन में
बसंत नहीं आया,
सीधे ब्याह आया.
उनके जीवन में सब कुछ
झटपट फटफट होता ,
पिता ठहरा आते लड़का,
वे हड़बड़ा जाती जब
माँ जबरन ठूंस देती
उनके मुंह में 'हाँ ' का 'बासंती लड्डू .'
भाई जाता अगले दिन,
और तिलक दे आता .
'बाबा ऐसो वर ढूंढो'
'तारों में सज के' और
'बाबुल की दुआ लेती जा'
कुल मिलाकर दो तीन गाने गवते,
तारों की छाँव में बु्क्का फाड़
झट रुलाईयाँ फूटती
और खट बिदाई होती.
न जाने कब भिंडी की सब्जी में
पानी डाल पकाती वे खट से
अचार मुरब्बे बनाती मिलती.
इन सब बेचारियों का 'गुड्डो' से
'अम्मा' तक का सफर
चुटकियों में पूरा हो जाता.
वे सब की सब
'हाँ' के बासंती लड्डूओं से हुई
अपनी बदहजमी भुला
अपनी बिटियाओं को
खिलाने से रोक तक न पाती.
बसंत मौसम में ही नहीं
भाग्य में भी आना चाहिए..