प्रेम
प्रेम
तुम मुझमें यूं बाकी रहना
ज्यूं रहता है प्रेम के 'प' में
आधा 'र' बाकी.
टूटे सपनों में रहती है
फिर जुड़ने की आस बाकी.
अंतिम वक्त में रहती है
किसी अपने से बात बाकी.
उधारी के बाद रहती है
जेब पर ब्याज बाकी.
मुस्कुराते हुए रहती है,
दिल में चुभी फाँस बाकी.
बारिश के बाद रहती है
धरती की प्यास बाकी.
तितली के दिल में रहती है
ऊँचे आसमान से बात बाकी.
पत्थर के सीने में रहती है
संगतराश की छाप बाकी.
कमीज़ पर टूटे बटन की रहती है
याद बाकी.
सुनो,
तुम मेरे सफेद बालों की चमक में
बाकी रहना.
मेरी हथेली के उम्रदराज़ तिल में
बाकी रहना.
मेरी झुर्रिदार चेहरे के
हर आढ़े-तिरछे मोड़ में बाकी रहना.
और मैं न भी रहूं तो
घर की चौखट की उस नींव में बाकी रहना,
जहां एक दिन मेरा हाथ थामे खड़े थे तुम
नई गृहस्थी में प्रवेश के इंतजार में ....