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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Children

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Children

मां

मां

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कोई गीत लिखूं तुझ पर

कई बार सोचता हूं,

काबिल नहीं हूं इतना

खुद को यूं रोकता हूं,


क्या लिखूं मैं तुझ पे,

शब्द तुमने ही सिखाए,

सुखा के देह अपनी

निवाले मुझे खिलाए,


दे डाली नींद अपनी

मेरी जम्हाइयों में,

किए सपने सभी तिरोहित

मेरी किलकारियों में,


संवारने में मुझको

दे दी पूरी जवानी,

खतम नहीं होती

तेरी दुआ की कहानी,


मेरे साए को भी

तूने हर दर्द से छुपाया,

लाखों बालाएं लेकर

हर बुरी नज़र से बचाया,


तुम आत्मा हो मेरी

सब कुछ तो जानती हो,

ईश्वर से बड़ी तुम हो

पर दुआ उससे मांगती हो,


मेरी कलम में तुम ही

आकर तो बोलती हो,

विचार बनकर तुम ही 

सच झूठ तोलती हो,


क्या लिखूं मैं तुझ पे,

बस शत शत तुझे नमन है,

मेरे शब्दों से तू परे है,

भजन तेरा स्मरण है।।


बहुत प्रेम मां 



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