माँ
माँ
माँ ! भक्ति है , अनुरक्ति है
नर देह में दैवीय शक्ति है
माँ ! चेेेेतना है, बुद्धि है,
हर कार्य क्षेत्र में सिद्धि है ं,
माँ ! अंतः प्रेरणा है, वृत्ति है
दया की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है ं
माँ ! स्मृति है, मनः शांति है
माँ से ही जीवन में कांति है
माँ ! जीवन का मेरे सार है
मेरा सारा लोकव्यवहार है
माँ ! घाम में शीतल छाया है
माँ से ही ये सारी माया है
माँ ! आशीर्वादों का वह पिटारा है
जाने कितने संंकटों को जिसने टारा है
माँ ! मरुजीवन में सहज स्नेह नीर है
छूकर हर लेती सारी भव पीर है
माँ से ही दिन है और रात है
माँ है तो ,रोज ,मंगल प्रभात है
