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Sangeeta Sharma

Classics

3  

Sangeeta Sharma

Classics

माँ

माँ

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माँ के माथे पर सिंदूर का टीका

माँ नहीं चाहती कभी हो वह फीका

माँ के कान सदा ये चाहे

कभी परिवार पर विपदा न आए।


बच्चे- बडों की खुशी मे मां मुस्काए

उसके होठों पर प्रसन्नता छाए

मांँ के स्वर का क्या कहना

वो तो है ममता का गहना।


माँ के ह्रदय में है वास

बच्चे, परिवार और ईश्वर का विशवास

माँ के ये दोनों हाथ

सदा बने रहे सबके साथ।


माँ तो है ईश्वर का रूप

उनके जैसा कोई न स्वरूप।


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