कविता (जन्म)
कविता (जन्म)
मनुष्य समय महत्व को समझो, समय कही निकल न जाए,
चौरासी लाख योनियों के बाद, तुम मनुष्य जन्म पाते हो,
तुम्हें यह जन्म किसलिए मिला, फिर भी समझ न पाते हो
यह जन्म मिला ईश्वर को पाने के लिए
नाकि समय को गंवाने के लिए
बचपन बीता खेलने में, जवानी बीती मौज मस्ती में
बुढापा आया कमज़ोरी लाया,मनुष्य कुछ समझ न पाया
हे मनुष्य! अब तो समय न गंवाओ
ईश्वर के नाम को जपते जाओ
यह जन्म विफल न जाएगा
अगला जन्म भी सफल हो जाएगा।
