माँ कुष्मांडा,चतुर्थ दिवस रूप
माँ कुष्मांडा,चतुर्थ दिवस रूप
चहुँ ओर वसुधा में बहार छाये,
ज़ब यह जगत सुयश गाये !
कूष्माण्डा धरा पर ज़ब आये,
शक्ति सौरभ का प्रसार हो !
दुर्गा का है चतुर्थ रूप ,
प्रखर देता है जग में धूप !
सुन्दर सुखद सी वसुंधरा ,
सदा ही सुख का सार हो !
माँ कल्याणी झोली भरें ,
सबके मन की कुबुद्धि हरें !
भव सिंधु नर नारी तरें ,
नाश मन के कुविचार हों!
व्याकुल भक्त पुकारें हुलस के ,
दुःख दर्द हर लीजिये सबके !
हर एक तबके में बहे ,
स्नेह की एकरस धार।