माँ को कहाँ आराम
माँ को कहाँ आराम
माँ को कहाँ आराम !
न इस जहान,
न उस जहान !
मुझे गोदी में सुलाते सुलाते
लोरी गाते गाते
माँ मेरे लिए स्वेटर बनाती थी।
आज काम वाली के बच्चे के लिए
वो मेरी माँ अधेड़,
मेरे बड़े बड़े स्वेटर उधेड़
दे भाप रही है !
और देखो तो...
बरसों से चाँद पे बैठी
वो बूढ़ी माँ भी
आज तक चरखा कात रही है !