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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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मां का दुलार

मां का दुलार

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मां का दुलार सब जख़्म भर देता है यार

पत्थरों को मोम कर देता है माँ का प्यार

हर दर्द उसके दुलार से खत्म होता है,

मां की दुआ से मुर्दा भी जिंदा होता है,

माँ का प्यार जग में मृत संजीवनी है यार

मां के स्नेह में होता है बड़ा ही चमत्कार

बहरे को भी उसकी आवाज सुनाई देती है

इसका स्नेह दुनिया का सर्वोत्तम है सितार

मां का नेह दुःख में सुख की हवा देता है

शूलों को बना देता है वो फूलों का हार

मां का दुलार सब जख़्म भर देता है यार

ये तो टूटे आईने से भी कर देता है श्रृंगार

वो लोग दुनिया मे बड़े ख़ुशनसीब होते है 

जिन्हें मिला है जग में अपनी माँ का प्यार

उनकी दुनिया जन्नत से भी सुंदर होती है,

जिनकी जिंदगी में मां रूपी ख़ुदा होती है

मां का सच्चा दुलार खोल देता है बन्द द्वार

क्या जानवर,क्या इंसान सबकी मां होती है

सब जीवों की माँ ख़ुदा का ही है एक सार

मां का दुलार सब जख़्म भर देता है यार


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