माँ का आँचल
माँ का आँचल
जिंदगी बड़ी क्रूर है माँ,
तेरे आँचल के परे
बहोत दर्द होता है माँ,
तेरी नजरो से परे
बहते है कितने ही आँसू,
तेरी आँखों से है ओझल
रोता है कितना ये दिल,
तेरी आँखों से परे।
दुनिया का टेढ़ापन,
तुझको छू नहीं पाया
शायद मै भी इसीलिए,
इसे अपना नहीं पाया।
जिंदगी जिलेबी सी सीधी है माँ,
तेरी सोच से परे
मै सिखूँगा ये सीधापन,
तेरी कोख़ से परे।
लोग अपने है माँ,
पर रिश्तों से परे
लोग पराये है माँ,
मगर प्यार से परे।
जिंदगी आसान है माँ,
पर तेरी छाँव के तले
मै ख़ुश तो हूँ माँ,
पर तेरे कष्टों से परे।
देश सुरक्षित तो है माँ,
पर गद्दारो से परे
देशभक्ति जिन्दा तो है माँ,
पर स्वार्थ से परे
मै आज़ाद तो हूँ माँ,
पर अभिव्यक्ति से परे
मैं अमर तो हूँ माँ,
पर इस शरीर से परे।