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Prashant Lambole

Abstract

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Prashant Lambole

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अरमान

अरमान

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एक अरमान सजाया है

अपने दिल के भीतर

संग सदा तुम रहना प्रियवर

बस मेरे ही बनकर


धरती जैसा हाथ थामना

करना अम्बर सी छाया

सर्दी जैसा मुझे जकड़ना

बन पवन मुझे सहलाना


जो मिले खुदा तो उससे

बस इतनी अरदास है मेरी

जो अरमान सजा है दिल में

उसको पूरा करना।


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