Prashant Lambole
Abstract
एक अरमान सजाया है
अपने दिल के भीतर
संग सदा तुम रहना प्रियवर
बस मेरे ही बनकर
धरती जैसा हाथ थामना
करना अम्बर सी छाया
सर्दी जैसा मुझे जकड़ना
बन पवन मुझे सहलाना
जो मिले खुदा तो उससे
बस इतनी अरदास है मेरी
जो अरमान सजा है दिल में
उसको पूरा करना।
मेरे जाने के ...
अरमान
वक़्त
हद कर दी
स्वातंत्र्यवी...
मैं आऊंगा
माँ का आँचल
ख़ुशी
रिश्तों को निभाने के खातिर बहुत कुछ निभाना पड़ता है। रिश्तों को निभाने के खातिर बहुत कुछ निभाना पड़ता है।
हर पल यही सोचता हूँ आज भी। पैसा ही सब कुछ क्यों हो गया मेरा।। हर पल यही सोचता हूँ आज भी। पैसा ही सब कुछ क्यों हो गया मेरा।।
क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुका जाम है क्या मिलेगा तुझे, अब बेकार तेरा तामझाम है l नशा अब कुछ बचा नहीं, खत्म हो चुक...
बुद्धि से दे गौरव है ऐसा नारंगी रंग दयालुता को देता बल ये नारंगी रंग। बुद्धि से दे गौरव है ऐसा नारंगी रंग दयालुता को देता बल ये नारंगी रंग।
वेदना से उत्पन्न कविता हर हृदय के तार छूती। वेदना से उत्पन्न कविता हर हृदय के तार छूती।
क्या आप सपना देखते हैंं देखते हैंं तो कैसा सपना। क्या आप सपना देखते हैंं देखते हैंं तो कैसा सपना।
खुद को भी अब अहमियत भला देता कहाँ अब आदमी ? खुद को भी अब अहमियत भला देता कहाँ अब आदमी ?
नासमझ हूं मैं, ज़िंदगी को अपनी खानाबदोश सा बना रखा है। नासमझ हूं मैं, ज़िंदगी को अपनी खानाबदोश सा बना रखा है।
दर्द का ज़ख़ीरा मैंने दिल मे छुपाया है, लाखों गम सजाकर भी दिल मुस्कुराया है। दर्द का ज़ख़ीरा मैंने दिल मे छुपाया है, लाखों गम सजाकर भी दिल मुस्कुराया है।
हम सीधे साधे भारतीय ईश्वर में आस्था रखते हुये अपने कर्म में तल्लीन रहे। हम सीधे साधे भारतीय ईश्वर में आस्था रखते हुये अपने कर्म में तल्लीन रहे।
सारे रंग नजर आते हैं , जब सूरज ढलने लगता है... सागर किनारे... सारे रंग नजर आते हैं , जब सूरज ढलने लगता है... सागर किनारे...
तुझे संसार मैं कायम रखनी है धर्म की अधर्म पर जीत की रीत। तुझे संसार मैं कायम रखनी है धर्म की अधर्म पर जीत की रीत।
शब्द का अभाव है या फिर शब्दों की हैसियत हीं नहीं है। शब्द का अभाव है या फिर शब्दों की हैसियत हीं नहीं है।
रहम तेरा स्वाभिमानी स्वीकार न करेगा I जीत का परचम तेरा,वो अंगीकार न करेगाI रहम तेरा स्वाभिमानी स्वीकार न करेगा I जीत का परचम तेरा,वो अंगीकार न करेगाI
आत्मबोध का प्रयास करो भूली बिसरी बातें याद करो आत्मबोध का प्रयास करो भूली बिसरी बातें याद करो
साथ सभी का छोड़ चले, छोड़ सभी को कहाँ चले। साथ सभी का छोड़ चले, छोड़ सभी को कहाँ चले।
इंसानियत को जीवित रखने का प्रयास, हमें आत्मबल दे रहा है। इंसानियत को जीवित रखने का प्रयास, हमें आत्मबल दे रहा है।
हर किसी का खैरमकदम करता हुआ बहारों की हंसी फिजाओं से भरा रखें। हर किसी का खैरमकदम करता हुआ बहारों की हंसी फिजाओं से भरा रखें।
शांत चित्त स्वागत करो विधि के विधान का सबल बन सुख का उपवन विकसित करो। शांत चित्त स्वागत करो विधि के विधान का सबल बन सुख का उपवन विकसित करो।
है आंखों पर ये मोटा चश्मा, लिए हाथ में झोला हूं राष्ट्र निर्माता कहते मुझको, है आंखों पर ये मोटा चश्मा, लिए हाथ में झोला हूं राष्ट्र निर्माता कहते मुझको,