माँ दुर्गा माँ दुर्गा को नमन
माँ दुर्गा माँ दुर्गा को नमन
माँ दुर्गा
माँ दुर्गा को नमन
माँ तेरे चमत्कार कोई समझ नहीं सका
माँ तुम दूर हो कर भी कितनी पास हो।
समझ जाती हो अपने बच्चों की इच्छा
और करती सब की इच्छा पुरी हो।
हे माँ दुर्गा तुमको नमन हैं
हर कोई भजता तेरा नाम
सुबह शाम करता तेरे गुणगान
हर दुख में तुमको पुकारे
पर सुख में भूल जाता इंसान
आए हैं तेरे नौ दिन
हर और मनाने लगे हैं जश्न
बस जहाँ देखो वहाँ नाम है तेरा।
नवरात्रि का आरम्भ एक त्यौहार
से भी बढ़ कर सब मनाते,
हर पल हर घड़ी तेरे को भजते
तुम सुन कर सबकी पुकार चली आती हो।
माँ दुर्गा तुम को मेरा नमन हो
तुम सुनती भक्तों की पुकार
फिर मेरी क्यों नहीं सुनती हो।
मैं भी तो तेरा एक बालक हूँ,
मेरी भी सुन ओ महरावालिएं
कुछ महर मेरे पर भी कर दे
बस इतनी सी इच्छा
कि अपनी शरण में मेरे को ले ले।
मैं बालक तू माता
यही है हम दोनों का नाता
दीप धूप और आरती नहीं आती करनी
पुजा पाठ नहीं आता मेरे को
बस इतना सा पता है
तुम मेरी माँ और में तेरी बेटी
जो है जन्म से पहले ही नाता
फिर क्यों भूल गयी
ये माँ बेटे का नाता
तेरे को ये बेटा पुकार रहा
आ माँ आ माँ
मेरे को अपनी शरण में ले ले माँ।
