लता दीदी
लता दीदी
खो गई आवाज देखो इस फिज़ा में।
सो गए हर साज अब तो इस फिज़ा में।।
आज तक जिसको सुना तन्हाइयों में।
अलविदा कहकर गए वो इस फिज़ा में।।
कोकिला स्वर की नहीं है इस जहां में।
आंख को नम कर गए हो इस फिज़ा में।।
गीत गाया पत्थरों ने जिन स्वरों में।
आज दिल पत्थर किए वो इस फिज़ा में।।
गीत होते थे अमर जो गुनगुनाए।
आज ना कुछ भी कहे वो इस फिज़ा में।।
है अमर हर गीत अधरों पे सजे जो।
हर दिलों में है अमर वो इस फिज़ा में।।