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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

लोग मुझसे कह रहे हैं

लोग मुझसे कह रहे हैं

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लोग मुझसे कह रहे हैं,

कि तेरे खुद के छप्पर तो ढह रहे हैं !

और निकल पड़े हैं बस्ती की मकां बनाने।

खुद की बगिया तो उजड़ गया,

और जुट गये हैं दुनिया की फुलवारी को हरा - भरा बनाने।

खुद तो दर- दर भटक रहे हैं,

और चले हैं दूसरे को रास्ता बतलाने।

खुद की मंज़िल का तो कोई ठिकाना नहीं !

और मशगूल हैं दूसरे को मंज़िल का मार्ग दिखलाने।

खुद की तो वो तिलिस्मी मुस्कान महफूज़ नहीं !

और व्यस्त हैं दुनिया के सामने दिखावटी मुस्कान मुस्कुराने में।

लोग कह रहे हैं मुझसे,

खुद का तो कोई ठिकाना नहीं,

और चले हैं लोगों की आशियाँ बसाने।

खुद के तो अपने रहे नहीं,

और चले हैं दुनिया को अपना बनाने।

उन लोगों से मैं कह दूं कि आप सही हैं अपनी जगह। 

मगर मुझे इनसे कुछ पल की भी तो खुशी मयस्सर हो जाती है इसी बहाने।

मैं वाकिफ़ हूँ हकीक़त से।

कि इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता।

सभी आए हैं यहाँ जिंदगी के रंगमंच पे कुछ पल के लिए अपना किरदार निभाने।

मैं भी व्यस्त हूँ दुनिया के दृश्य फिल्माने। 

चूंकि इससे कुछ पल के लिए भी तो खुशी मिलती है इसी बहाने।



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