लो वो आ गई
लो वो आ गई
देखो न वो आ गई
छोड़ आई वो अपना घर
घर बनाने को मेरा
जिंदगी का हर हिस्सा अपनाने को मेरा
छोड़ा उसने उनका साथ
जिन ने दिया बचपन से हाथ
हर घड़ी में रहे उसके करीब
जो थे उसके है लम्हे में शरीक
देखो वो आ गई
उसने संभाला मेरा परिवार
होकर अपने परिवार से दूर
जो रहती है हर पल मिलने से मजबूर
मेरे घर में अब चहकती है।
फूलो की तरह महकती है
हर वक्त अब उसका मेरा है
फिर भी उसकी जिंदगी के मेरा पहरा है।
फिर भी वो खुश रहती है।
कुछ ना कहती है।
मेरे क्रोध को भी सहती है।
उंगली पकड़ी जिसकी छोड़ आई।
हाथ पकड़ने को मेरा सारे बन्धन तोड़ आई।
जिस से लड़ा करती थी
वो भाई भी पीछे छूट गया।
जैसे बचपन उस से रूठ गया।
देखो वो आ गई
