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Mukesh Chand

Abstract Classics Fantasy

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Mukesh Chand

Abstract Classics Fantasy

सपने

सपने

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कुछ अनकहे अनजाने से हे ये 

कुछ जाने पहचाने से हे ये

अपने होकर बेगाने से हे ये 

इस कदर खुशियाँ लाते हे ये 

फिर कियो चकनाचूर हो जाते हे ये 


बेवजह का ऐतबार जाताते हे ये 

कियो किसी को अपना बनाते हे ये 

दिलो में नई उमंग जगते हे ये 

कुछ कर गुजरने विश्वास दिलाते हे ये 

दिन भर का हाल सुनाते हे ये 


रात को नींद में हाँसते हे ये 

अछि बुरी यादो को दिखते हे ये 

अनकही बातो को केह जाते हे ये 

हर लम्हे को समेट लाते हे ये 

अनजानी ख़ुशी दे जाते हे ये 


कुछ अनकहे अनजाने से हे ये 

कुछ जाने पहचाने से हे ये।


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