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Mukesh Chand

Abstract Romance Classics

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Mukesh Chand

Abstract Romance Classics

तेरी तपन

तेरी तपन

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जब तू पास आती है पिघल जाता हूँ

तेरी तपन से जल जाता हूँ।

तू मुस्कुराती है तो में मुस्कुराता हूँँ

तेरे छूने से में सिहर जाता हूँ

मन में अजीब ख्याल लाता हूँँ

जिंदगी भर तेरा होना चाहता हूँँ

जब तू पास आती है तो पिघल जाता हूँ

तेरी तपन से जल जाता हूँ

हर गम तेरा चेहरा देखकर भूल जाता हूँं

कही पर भी हूँँ तेरा ख्याल लाता हूँँ

भाग कर तेरे पास आना चाहता हूँँ

घर पहूँँच कर तुसे मिलना चाहता हूँँ

जब तू पास आती है तो पिघल जाता हूँ

तेरी तपन से जल जाता हूँ

तेरे पास होने से खुश हो जाता हूँ

हर खुशी तेरे संग बटना चाहता है

तेरी हर एक अदाओ का कायल हो जाता हूँँ

इन अदाओ पर मरना मिटना चाहता हूँँ

जब तू पास आती है तो पिघल जाता हूँ

तेरी तपन से जल जाता हूँ।


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