कैसी नौकरी
कैसी नौकरी
कैसी ये नौकरी हाय
कुछ न समझ में आये
दिन भर बस भगाये
महीने में हाथ कुछ न आये
महंगाई हमें सताये
बढ़ते दाम रुलाये
एक छुट्टी ना कर पाए
कर ले तो वेतन कट जाए
घर की किचकिच सताये
बच्चों की ख्वाहिशें याद आये
पत्नी बातों के बाण बरसाए
अब कहा जाए
रातों को नींद ना आये
कल की सोचकर रात बीत जाए
पढ़ने वालों को हँसी आये
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