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Mukesh Chand

Abstract Drama Others

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Mukesh Chand

Abstract Drama Others

युद्ध या राजनीति

युद्ध या राजनीति

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इसको पटका उसको पटका 

ना जाने किस किस को लगेगा झटका

रोज नयी बाते होती अब देखे कौन है अटका

जो कानून के अंदर थे अब उनको ही लगा झटका।

नई बाते रोज निकालती लगता है भरा है साजिशों का मटका।

कभी इसे पकड़ते कभी उन्हें पकड़ते

आपस में ही बच्चों की तरह झगड़ते।

कुछ ना होता इनका ये सिर्फ राजनीति करते।

वाद विवाद का संवाद कर के एक दूसरे पर छींटाकशी करते।

अपनी बात के जरिये लोगों को ठगते।

कोई किसी के खुलासे करता।

कोई अंडरवर्ल्ड का राग जपता।

कोई हायड्रोजन बम की आहें भरता।

यूं ही राजनीति का खेल चलता।


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